MIME-Version: 1.0 Content-Type: multipart/related; boundary="----=_NextPart_01D15CC8.BBB7BB10" This document is a Single File Web Page, also known as a Web Archive file. If you are seeing this message, your browser or editor doesn't support Web Archive files. Please download a browser that supports Web Archive, such as Windows® Internet Explorer®. ------=_NextPart_01D15CC8.BBB7BB10 Content-Location: file:///C:/4F625601/8.SushilSarma.htm Content-Transfer-Encoding: quoted-printable Content-Type: text/html; charset="us-ascii"
=
<=
![endif]>
=
Pr
atidhwani the Ec=
ho
A Peer-Reviewed International Journal of
Humanities & Social Science
=
=
IS=
SN: 2278-5=
264 (Online) 2321=
-=
93=
19 (Print)
=
=
Im=
pact Factor: 6.=
28 (=
I=
ndex Copernicus
International)
=
=
Volume=
-IV,
Issue-III, January
2016, Page No.
46-53
P=
=
u=
blished by Dept.
of Bengali, Karimganj College, Karimganj,
Assam, India<=
span
style=3D'font-family:"Cambria","serif";mso-fareast-font-family:"Times New R=
oman";
mso-bidi-font-family:Cambria;mso-bidi-language:BN-BD'>
=
&nb=
sp; =
Website: http://www.thecho.in
ज=
ैविक
खेती की ओर
बढ़ते किसान क=
375;
कदम
सुशील कुमार
शर्मा
वरिष्&=
#2336;
अध्यापक
Abstract
2004 -05 में
पहलीबार खेत=
68;
पर राष्ट्री=
51;
परियोजना की =
358;ुरुआत
की गई सन 2004 -05 =
में
जैविक खेती क=
379;
करीब 42 हजार
हेक्टेयर मे=
06;
अपनाया गया
जिसका रकबा=
मार्च 2010 तक बढ़ क=
52;
करीब 11 लाख
हेक्टेयर हो
गया। इसके
अतिरिक्त 34 लाख
हेक्टेयर
जंगलों से फस=
354;
प्राप्त होत=
68;
है। इस तरह
कुल 45 लाख
हेक्टेयर मे=
06;
जैविक उत्पा=
42;
उत्पन्न किय=
75;
जा रहे हैं।
भारत दुनिया
में कपास का
सबसे बड़ा
जैविक
उत्पादक है।
पूरी दुनिया
का जैविक कपा=
360;
का 50
% उत=
;्पादन
भारत में किय=
366;
जाता है। 920 उत्पाद=
;क
समूहों के
अंतर्गत आने
वाले करीब
भा=
2352;त
में जैविक
खेती अत्यंत
पुरानी विधा
है। किन्तु
पश्चिमी
देशों की नक़ल
करके एवं खेत=
368;
को लाभ का
धंधा बनाने क=
375;
लिए अंधाधुं=
43;
रासायनिक
खादों एवं
कीटनाशकों क=
75;
प्रयोग ने
जमीन का सत्यानाश
कर दिया है।
ज=
ैविक
खेती से लाभ : जैविक
खेती किसान
एवं पर्यावर=
39;
के लिए लाभ का &=
#2360;ौदा
है। जैविक
खेती से
किसानो को का=
350;
लगत में उच्च
गुणवत्ता
पूर्ण फसल
प्राप्त हो
सकती है। इसक=
375;
अन्य लाभ
निम्न लिखित
हैं।
1.&n=
bsp;
जैविक खेती
से भूमि की
गुणवत्ता मे=
06;
सुधार होता
है।
रा=
;सायनिक
खादों के
उपयोग से भूम=
367;
बंजरपन की ओर
बढ़ रही है।
जैविक खादों
से उसमें जिन
तत्वों की कम=
368;
होती है वह
पूर्ण हो जात=
368;
है एवं उसकी
गुणवत्ता मे=
06;
अभूतपूर्व
वृद्धि हो
सकती है।
2.
जैविक खादों
एवं जैविक
कीटनाशकों क=
75;
उपयोग से जमी=
344;
की उपजाऊपन
में वृद्धि
होती है।
3.
जैविक खेती
में सिंचाई की कम
लागत आती है
क्योंकि
जैविक खाद
जमीं में
लम्बे समय तक
नमी बनाये
रखतें हैं
जिससे सिंचा=
12;
की आवश्यकता
रासायनिक
खेती की
अपेक्षा काम
पढ़ती है।
4.
रासायनिक
खादों के
उपयोग से ज़मी=
344; के अंदë=
2;
फसल की
उत्पादकता
बढ़ने वाले
जीवाणु नष्ट
हो जाते हैं
जिस कारण फसल की
उत्पादकता क=
50;
हो जाती जैवि=
325;
खाद का उपयोग
कर पुनः उस
उत्पादकता क=
79;
प्राप्त किय=
66;
जा सकता है।
5.
जैविक खेती
से भूमि की जल
धारण शक्ति
में वृद्धि
होती है।
रासायनिक खा=
42;
भूमि के अंदर
के पानी को
जल्दी सोख
लेते हैं जबक=
367;
जैविक खाद
जमीं की ऊपरी
सतह में नमी
बना कर रखते
हैं जिससे
जमीन की जल धा=
2352;ण
शक्ति बढ़ती
है।
6.
किसान की
खेती की लागत
रासायनिक
खेती की तुलन=
366;
में करीब 80 % कम हो
जाती है। इन
दिनों
रासायनिक
खादों की कीम=
340;ें
आसमान छू रही
है जैविक खाद
बहुत ही सस्त=
375;
दामों में
तैयार हो जात=
366;
है।
7.
जैविक खेती
से प्रदूषण
में कमी आती
है रासायनिक
खादों एवं
कीटनाशकों स=
75;
पर्यावरण
प्रदूषित
होता है।
खेतों के
आसपास का
वातावरण
जहरीला हो
जाता है जिसस=
375;
वहाँ के
वनस्पति,जानवर,एवं पशì=
9;
पक्षी मरने
लगते हैं।
जैविक खादों
एवं कीट
नाशकों के
प्रयोग से
वातावरण
शुद्ध होता
है।
8.
जैविक खेती
से उत्पादों
की गुणवत्ता
रासायनिक
खेती की तुलन=
366;
में कई गुना
बेहतर होती ह=
376;
एवं ऊँचे
दामों में
बाजार में बिकते
हैं।
9.
स्वास्थ्य
की दृष्टि से
जैविक उत्पा=
42;
सर्वश्रेष्é=
6;
होते हैं एवं
इनके प्रयोग
से कई प्रकार
के रोगों से
बचा जा सकता
है।
10.&=
nbsp; जैविक
उत्पादों की
कीमतें
रासायनिक
उत्पादों से
कई गुना
ज्यादा होती
हैं जिससे
किसानों की
औसत आय में
वृद्धि होती
है।
ज=
ैविक
खेती की एवं
रासायनिक
खेती की
तुलनात्मक
उत्पादकता<=
b> :
निम्न
आंकड़े
दर्शाते है क=
368;
जैविक खेती स=
375;
फसलों की
उत्पादकता
रासायनिक
खेती की तुलना में
करीब 20से 25प्रतिश=
;त
तक बढ़ जाती
है।
फसल |
जैविक खेती
से
उत्पादकता |
रासायनिक
खेती से
उत्पादकता |
जैविक खेती
की अधिक
उत्पादकता
का प्रतिशत |
गन्ना (टन मे=
306;) |
942 |
817 |
15.26 |
चावल
(क्विंटल में)=
|
88 |
78 |
12.82 |
मूंगफली
(क्विंटल में)=
|
18 |
14 |
28.57 |
सोयाबीन
(क्विंटल में)=
|
74 |
51 |
45.09 |
गेँहू
(क्विंटल में)=
|
45 |
35 |
28.57 |
फल एवं सब्ज=
67;यां
(क्विंटल में)=
|
15 |
14 |
7.14 |
ज=
ैविक
खेती हेतु खा=
342;
का निर्माण=
: रा=
;सायनिक
खाद फसल के
लिए उपयुक्त
जीवाणुओं को
नष्ट कर देता =
2361;ै।
इन सूक्ष्म
जीवाणुओं के
तंत्र को
विकसित करने
के लिए जैविक
खाद का प्रयो=
327;
किया जाना चा=
361;िए
जिससे फसल के
लिए मित्र
जीवाणुओं की
संख्या में
वृद्धि,हवा का
संचार,पानी कí=
9;
पर्याप्त
मात्रा में
सोखने की
क्षमता
वृद्धि होती
है। जैविक खा=
342;
बनाने की कुछ
प्रमुख
विधियां निम=
81;न
हैं।
1.<=
span
style=3D'font:7.0pt "Times New Roman"'> नाडेप
विधि : इस विधि में 12 फ़ीट लम्बा, 5 फ़ीट चौड़ा एवं=
; 3 फ़ीट
गहरा गड्ढा
खोद कर उसमे 75 % वनस्पति
अवशेष, 20 %हरी घांस व 5 %गोबर 200 लीटर
पानी में डाल
कर अच्छे से
मिलाते हैं.इ=
360;
गड्ढे को चार
इंच मोटी मिट्टी
की परत से ढक
कर रखते हैं। =
span>60 दिन बाद इस
गड्ढे में कु=
331;
छेद करके
उनमें पी एस
बी
एव=
;ं
एजेक्टोबेकî=
1;टर
कल्चर गड्ढे
के अंदर डाल क=
2352;
उन छिद्रों क=
379;
बंद कर देते
हैं।15से 20 क्विंट=
;ल
प्रति एकड़ की
दर से इस खाद
का उपयोग करे=
306;।हर
21 दिन बाê=
2; इस खाद
को
डा=
;ल
सकते हैं।
2.<=
span
style=3D'font:7.0pt "Times New Roman"'> वर्मी
कम्पोस्ट खा=
42; : फसल में पोषक
तत्वों का
संतुलन बनान=
75;
में वर्मी
कम्पोस्ट खा=
42;
की महत्व
पूर्ण भूमिक=
66;
रहती है।
वर्मी
कम्पोस्ट खा=
42;
को विशेष
प्रकार के के=
306;चुओं
से बनाया जात=
366;
है। इन केचुओ=
306;
के माध्यम स=
375;
अनुपयोगी
जैविक
वानस्पतिक
जीवांशो को अ=
354;्प
अवधि में मूल=
381;यांकन
जैविक खाद का
निर्माण करक=
75;, इसके
उपयोग से मृद=
366;
के स्वास्=
41;्य
में आशातीत
सुधार होता ह=
376;
एवं मृदा की
उर्वरा शक्त=
67;
बढ़ती है
जिससे फसल उत=
381;पादन
में स्थिरता
के साथ गुणात=
381;मक
सुधार होता
है। वर्मी कम=
381;पोस्ट
में
नाइट्रोजन
फास्फोरस
एवं पोटाश के
अतिरिक्त
में विभिन्=
44;
प्रकार
सूक्ष्म
पोषक तत्व भ=
368;
पाये जाते
हैं।वर्मीकë=
0;्पोस्ट पोषण
पदार्थों से
भरपूर एक
उत्तम जैव
उर्वरक है। य=
361;
केंचुआ आदि
कीड़ों के
द्वारा
वनस्पतियों
एवं भोजन के
कचरे आदि को
विघटित करके
बनाई जाती है=
404;
3. वर्मी
कम्पोस्ट मे=
06;
बदबू नहीं
होती है और मक=
2381;खी
एवं मच्छर
नहीं बढ़ते ह=
376;
तथा वातावरण
प्रदूषित
नहीं होता है=
404;
तापमान
नियंत्रित
रहने से
जीवाणु
क्रियाशील
तथा सक्रिय
रहते हैं। वर=
381;मी
कम्पोस्ट
डेढ़ से दो
माह के अंदर
तैयार हो जात=
366;
है। इसमें 2.5 से 3% नाइट्र=
;ोजन, 1.5 से 2% सल्फर
तथा 1.5 से 2% पोटाश
पाया जाता है=
404;
4. हरी खाद : हर=
;ी
खाद (green manure) उस सहायक फसल
को कहते हैं
जिसकी खेती
मुख्यत: भूमि
में पोषक
तत्त्वों को
बढ़ाने तथा
उसमें जैविक
पदाथों की
पूर्ति करने
के उद्देश्य
से की जाती
है। प्राय: इस
तरह की फसल को
इसके हरी स्थ=
367;ति
में ही हल
चलाकर मिट्ट=
68;
में मिला दिय=
366;
जाता है। हरी
खाद से भूमि
की उपजाऊ
शक्ति बढ़ती
है और भूमि की
रक्षा होती
है।मृदा के
लगातार दोहन
से उसमें
उपस्थित पौध=
75;
की बढ़वार के
लिये आवश्यक
तत्त्व नष्ट
होते जा रहे
हैं। इनकी क्=
359;तिपूर्ति
हेतु व मिट्ट=
368;
की उपजाऊ
शक्ति को
बनाये रखने क=
375;
लिये हरी खाद
एक उत्तम विक=
354;्प
है। बिना
गले-सड़े हरे
पौधे (दलहनी
एवं अन्य
फसलों अथवा
उनके भाग) को
जब मृदा की
नत्रजन या
जीवांश की
मात्रा
बढ़ाने के
लिये खेत में
दबाया जाता ह=
376;
तो इस क्रिया
को हरी खाद
देना कहते
हैं।
5. मटका खाद : गौ मूत्र 10 लीटर, गोबर 10 किलो, गुड 500 ग्राम, बेसन 500 ग्राम-
सभी को मिलाक=
352;
मटके में भरक=
352; 10 दिन
सड़ाएं फिर 200 लीटर पानी
में घोलकर
गीली जमीन पर
कतारों के बी=
330;
छिड़क दें।
6. बायोगैस
स्लरी : बायोगैस
संयंत्र में
गोबर गैस की
पाचन क्रिया
के बाद 25 प्रतिश=
;त
ठोस पदार्थ
रूपान्तरण
गैस के रूप मे=
2306;
होता है और 75 प्रतिशत ठोस
पदार्थ का
रूपान्तरण
खाद के रूप मे=
2306;
होता हैं।
जिसे बायोगै=
60;
स्लरी कहा
जाता हैं दो
घनमीटर के
बायोगैस
संयंत्र में 50 किलोग्राम
प्रतिदिन या 18.25 टन गोबë=
2;
एक वर्ष में
डाला जाता है=
404;
उस गोबर में 80 प्रतिशत नमी
युक्त करीब
बायोगै=
;स
संयंत्र में
गोबर गैस की
पाचन क्रिया
के बाद 20 प्रतिश=
;त
नाइट्रोजन
अमोनियम
नाइट्रेट के
रूप में होता
है। अत: यदि
इसका तुरंत
उपयोग खेत मे=
306;
सिंचाई नाली
के माध्यम से
किया जाये तो
इसका लाभ
रासायनिक खा=
42;
की तरह फसल पर
तुरंत होता ह=
376;
और उत्पादन
में 10-20 प्रतिशत बढ़त
हो जाती है।
स्लरी के खाद
में नत्रजन, स्फुर
एवं पोटाश के
अतिरिक्त
सूक्ष्म पोष=
39;
तत्व एवं
ह्यूमस भी
होता हैं
जिससे मिट्ट=
68;
की संरचना मे=
306;
सुधार होता ह=
376;
तथा जल धारण
क्षमता बढ़ती
है। सूखी खाद
असिंचित खेत=
68;
में 5 टन एवं
सिंचित खेती
में 10 टन
प्रति हैक्ट=
52;
की आवश्यकता
होगी। ताजी
गोबर गैस
स्लरी सिंचि=
40;
खेती में 3-4 टन
प्रति हैक्ट=
52;
में लगेगी।
सूखी खाद का
उपयोग अन्ति=
50;
बखरनी के समय
एवं ताजी
स्लरी का उपय=
379;ग
सिंचाई के
दौरान करें।
स्लरी के
उपयोग से फसल=
379;ं
को तीन वर्ष
तक पोषक तत्व
धीरे-धीरे
उपलब्ध होते
रहते हैं।
ज=
ैविक
कीट एवं
व्याधि
नियंत्रण :
1. 5 लीटर
देशी गाये के
मट्ठे में 5 किलो नीम के
पत्ते डालकर 10 दिन तक
सड़ायें, बाद में नीम
की पत्तियों
को निचोड़ लें=
404;
इस नीमयुक्त
मिश्रण को
छानकर 150 लीटर
पानी में घोल
बनाकर प्रति
एकड़ के मान से &=
#2360;मान
रूप से फसल पर
छिड़काव करें=
04;
इससे इल्ली व
माहू का
प्रभावी
नियंत्रण हो=
40;ा
है।
2. 5 लीटर
मट्ठे में, 1 किलो नीम के
पत्ते व धतूर=
375;
के पत्ते
डालकर, 10 दिन
सड़ने दे। इसक=
375;
बाद मिश्रण क=
379;
छानकर इल्लि=
51;ों
का नियंत्रण
करें।
3. 5 किलो
नीम के पत्ते =
span>3 लीटर पानी
में डालकर
उबाल ली तब
आधा रह जावे त=
2348;
उसे छानकर 150 लीटर पानी
में घोल तैया=
352;
करें। इस
मिश्रण में
4. 1/2 किलो
हरी मिर्च व
लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी
में डालकर छा=
344;
ले तथा एक एकड़
में इस घोल का
छिड़काव करें=
04;
5. मारूदा=
;ना, तुलसी (=
58;्यामा)
तथा गेदें के
पौधे फसल के
बीच में लगान=
375;
से इल्ली का
नियंत्रण
होता हैं।
6. =
2327;ौमूत्र, =
कांच की
शीशी में भरक=
352;
धूप में रख
सकते हैं। जि=
340;ना
पुराना
गौमूत्र होग=
66;
उतना अधिक
असरकारी
होगा। 12-15 =
350;ि.मी.
गौमूत्र
प्रति लीटर
पानी में
मिलाकर स्प्=
52;ेयर
पंप से फसलों
में बुआई के =
span>15 <=
span
lang=3DHI>दिन बाद, प्रत्येक
10 दिवस में
छिड़काव करने
से फसलों में
रोग एवं कीड़ो=
306;
में
प्रतिरोधी
क्षमता
विकसित होती
है जिससे
प्रकोप की
संभावना कम
रहती है।
&n=
bsp;
7. 100-150 मि.ली.
छाछ 15 लीटर प=
ानी
में घोल कर
छिड़काव करने
से कीट-व्याध=
367;
का नियंत्रण
होता है। यह
उपचार सस्ता,
सुलभ, ल=
;ाभकारी
होने से
कृषकों मे
लोकप्रिय है=
04;
&n=
bsp;
जैविक हर=
368;
खादों में
पोषक तत्व
(प्रतिशत में)=
span>
क्रमांक |
जैविक खाद |
पोटाश |
फास्फोरस |
नाइट्रोजन |
1 |
वर्मी
कम्पोस्ट |
0.67 |
2.20 |
1.60 |
2 |
कम्पोस्ट |
1.07 |
1.92 |
1.24 |
3 |
प्रेस मड |
1.31 |
1.34 |
1.59 |
4 |
जल कुम्भी |
2.30 |
1.00 |
2.00 |
5 |
मुर्गी खाद |
2.35 |
2.93 |
2.87 |
6 |
नीम केक |
1.4 |
1.00 |
5.2 |
7 |
सनफ्लावर |
1.9 |
2.2 |
7.9 |
8 |
विनौला |
1.6 |
1.8 |
2.5 |
विभिन्=
;न
प्रदेशों की
सरकारें
जैविक खेती क=
379;
प्रोत्साहिê=
0;
कर रही हैं।
मध्यप्रदेश
में 1565 गांवों
में पूरी तरह
जैविक खेती ह=
379;
रही है। प्रद=
375;श
में 29 लाख
हैक्टेयर
भूमि जैविक
खेती के लिये
उपयुक्त पाय=
68;
गयी है। प्=
;रदेश
में जैविक
जैविक
क्षेत्रों क=
66;
चयन किया जा
रहा है। बेस
लाइन सर्वे क=
352;
जैविक खेती
करने वाले
कृषक समूहों
का निर्माण
एवं पंजीयन
किया जा रहा
है। कृषि
विभाग के
द्वारा
क्षेत्रों क=
75;
अनुसार जैवि=
25;
फसलों का चयन,नि=
;ःशुल्क
मिट्टी का
परीक्षण,जैविक
खेती के लिए
भुसधर हेतु
चूना, रॉक फास्फेट
एवं कम्पोस्=
35;
उपयोग हेतु
प्रोत्साहन
अनुदान,जैविक
खाद एवं जैवि=
325;
कीट नियंत्र=
39;
हेतु प्रोत्=
60;ाहन
अनुदान,आनफार्=
;म
जैविक खाद
हेतु कृषकों
को सहायता एव=
306;
विभागीय अमल=
75;
व कृषकों को
जैविक खेती क=
368;
प्रशिक्षण
योजना से
जैविक खेती क=
375;
विस्तारीकरé=
9; में
तेजी आई है।
जैविक खेती
राज्य में
कृषि के विका=
360;
में महत्वपू=
52;्ण
भूमिका
निभाने की ओर
अग्रसर है।
कृषि को लाभक=
366;री
व्यवसाय
बनाने के लिए
राज्य सरकार
वचनबध्द है।
इसके अंतर्ग=
40;
संसाधन
प्रबंधन, तकनीकी
विकास एवं
व्यापक
प्रसार
उत्पादन वृध=
81;दि
के लिये
प्रभावी
अनुसंधान
द्वारा देश क=
375;
प्रगतिशील
राज्यों के
समकक्ष
उत्तरोत्तर =
48;ढ़ती
वृध्दि दर
प्राप्त करन=
66;
आदि विभिन्न
मुद्दों को ध=
381;यान
में रखकर
जैविक कृषि क=
368;
रणनीति तैया=
52;
की गई है।
मंडला, डिण्डोरी, बालाघा=
;ट, उमरिया=
;, शहडोल, नरसिंह=
;पुर
अनूपपुर, झाबुआ, खरगोन, नीमच, मंदसौर, बुरहानपुर<=
span
style=3D'font-size:10.5pt;font-family:"Arial","sans-serif";mso-fareast-font=
-family:
"Times New Roman";color:black;mso-bidi-language:HI'>, बैतूल, सीहोर, अलीराज=
;पुर, बड़वानी
और दमोह जिलो=
306;
में जैविक
खेती की जा
रही है।
ज=
ैविक
खेती करने
वाले किसानो=
06;
के अनुभव :
1.
प्रीतिराज
पटेल निवासी
गाडरवारा
विकास खंड सा=
311;ंखेड़ा, नर=
;सिंहपुर "जैविक
खेती उत्पाद=
44;
की दृष्टि से
रासायनिक खे=
40;ी
से कई गुना
बेहतर है, इस=
;में
किसान
स्वाबलंबी
बनता है एवं
हवा,पानी,और
मिटटी जहर से
मुक्त होते ह=
376;।"
2. नागेन्=
;द्र
त्रिपाठी
निवासी
बम्होरी कला
विकास खंड
साइंखेड़ा नरसिंह=
;पुर "हमारे
यहाँ जो
रसायनो के
आधार पर खेती
हो रही है
उससे
पर्यावरण का
प्रदुषण बढ़
रहा है एवं मि=
2335;्टी
का उपजाऊपन
काम हो रहा
है।
3.
विनीत
उदेनिया
निवासी पिपरिया, विकासख=
;ण्ड
पिपरिया जिल=
66;
होशंगाबाद "फर्टिल=
;ाइजर
एवं रासायनि=
25;
कीट नाशकों क=
366;
प्रयोग बंद
करने से मेरे
खेतों में
करीब 25%
तक
फसल की
उत्पादकता
बढ़ी है एवं
प्रति एकड़ अौ=
360;त
मुनाफा में
बढ़ोतरी हुई
है।"
जैविक
खेती से
उत्पन्न फसल =
344;
केवल
स्वास्थ्य क=
75;
लिए वरन
पर्यावरण के
लिए भी अनुकू=
354;
होती है।जैव=
67;क
कृषि पध्दति
से उत्पादित
शुध्द अनाज, सब्जी, फलों कì=
6;
सेवन करने से
देश के लाखों
करोड़ों रुपय=
75;
(स्वास्थ्य प=
352;
होने वाले
खर्च) की बचत
की जा सकती
है। जैविक
कृषि पध्दति
से सामाजिक
समरसता बढ़ाक=
52;
अप्रत्यक्ष
रूप से देश के
आर्थिक विका=
60;
में सहभागी
बना जा सकता
है। हमारे स्=
357;ास्थ्य
एवं
सर्वांगीण
विकास के लिए
यह जरूरी है
की प्राकृति=
25;
संसाधन
प्रदूषित न
हों एवं शुद्=
343;
वातावरण के
साथ पोषक आहा=
352;
मिले इन सबका
आधार सिर्फ
जैविक खेती
है।
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जैविक खेती
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किसान के कदम